TIME IS MONEY

India

MY VIEWS..............


I made this widget at MyFlashFetish.com.

What are you thinking about the contents of my BLOG?

Tuesday, April 13, 2010

हमने कसमें है खाई

जलियाँवाला बाग के शहीदों को याद करते हुए एक श्रधा-सुमन समर्पित .........................




धूल तेरे चरणों की हमने,
माथे अपने लगाई,
जननी तेरे चरणों की
हमने कसमें है खाई.


यह देश है ऋषियों के तर्पण की,
और धरा बलिदानी,
हंसते-हंसते फाँसी पर चढ़ने वालों की
गाथा बहुत पुरानी.
इस अभिनन्दनीय भूमि की गौरव गाथा
जाती नहीं भुलाई,
जननी तेरे चरणों की
हमने कसमें है खाई.


यह महासेतु है संस्कृति की,
क्षमा दया इसकी निशानी,
जर-चेतन जहाँ गाए हरदम
गीता वाली वाणी.
वंदनीय भूमि यह देती सबको
हंस-हंस आज दुहाई
जननी तेरे चरणों की
हमने कसमें है खाई.


यह सार है संसार का,
इसने मृत जग में प्राण दिया,
तमस-तोम में भ्रमित जगत को
इसने है त्राण दिया.
पिपाषीत जाग को इसने
स्नेह सलिल पिलाई,
जननी तेरे चरणों की
हमने कसमें है खाई.


माँ ! तेरे आँचल के क्षीर में,
किसने है जहर मिलाया?
किसकी काली कीर्ति पर,
मानवता शर्माया?
तेरी पीड़ा से हो आहत,
हमने आवाज़ लगाई,
जननी तेरे चरणों की
हमने कसमें है खाई.


लेकर दीपज्ञान का'
हम घर-घर ज्योति जलाएँगे,
अज्ञानता को खुद जल-जल हम,
धरा से दूर भगाएँगे.
वक़्त अब भुजा उठा कर सपथ लेने की आई.
जननी तेरे चरणों की
हमने कसमें है खाई.


इस तपो भूमि पर तपोनि:ष्ठ ने
जो तेज है फैलाई.
उसी देश की माटी पे
आज काल ने सेंध लगाई.
नफ़रत ज्वाला में जलता हृदय,
देता हमें दिखाई,
जननी तेरे चरणों की
हमने कसमें है खाई.


हे अभिनन्दिनी ! तेरी रक्षा में,
अपना सर्वस्व कुर्वान करेंगे,
मृत सैय्या पर सो कर भी
मुक्त कंठ से तेरा गुणगान करेंगे.
यह ओजस्वी सपथ कभी
जाए नहीं भुलाई,
जननी तेरे चरणों की
हमने कसमें है खाई.



:-कन्हैया

No comments:

Post a Comment