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Sunday, November 22, 2009
आज़ादी क्या होती है
फूटपाथ
पर
रातें
कटती
,
पथ
ही
अंगना
है
,
ग्रीष्म
,
हेमंत
,
वसंत
,
वर्षा
में
जीवन
वहीं
जीना
है
.
गगन
पिता
है
वसुधा
माता
,
प्रकृति
ही
सहचर
है
,
उसकी
होली
और
दीवाली
क्या
,
जिसका
जीवन
ही
पतझर
है
.
आवामों
की
इस
दुनियाँ
में
भी
,
इनके
चूल्हे
एक
शाम
जलते
हैं
,
कैसी
विडंबना
ये
है
देखो
,
रद्दी
पर
ही
ये
सोते
हैं
.
छह
दशकों
की
आज़ादी
में
,
ये
कहाँ
आज़ाद
हुए
,
देश
बदला
,
दुनियाँ
बदली
,
पर
ये
कहाँ
आवाद
हुए
.
आज
भी
इस
घर
की
नारियाँ
,
रात
और
दिन
रोती
है
,
कोई
पूछो
इन
वासिंदों
से
आज़ादी
क्या
होती
है
.
:
-
कन्हैया
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